एक तालाब में दो मछुआरे मछली पकड़ रहे थे । पहले मछुआरे के काटे में एक बड़ी मछली फॅस गयी फिर धीरे-धीरे छोटी बड़ी मछलियॉ फॅसती चली गयी दुसरे मछुआरे के काटे में एक भी मछली नही फसी तो वह थोड़ा निराश हुआ तो पहले मछुआरे ने मदद के लिए कहॉ तो दुसरे मछुआरे ने मना कर दिया और फिर कॉटे को तालाब में डाला तो एक बड़ी मछली उसके काटे में फॅस गयी तो दुसरे मछुआरे ने कुछ देर उस मछली को देखा और फिर तालाब में फेक दिया पहले मछुआरे को हैरानी हुई पर उसने कुछ कहा नहीं
![]() |
Motivational Story |
फिर एक के बाद एक बड़ी मछली दुसरे मछुआरे के काटे में फॅसती चली गयी और वह कुछ देर देखता और तालाब में फेक देता तो पहले मछुआरे से रहा नहीं गया वह बोला की तुम्हारे पास बड़ी-बड़ी मछलियॉ फॅस रही है।
![]() |
Motivational Story |
और तुम हो की वपस तालाब में फेक दे रहे हो तो दसरे मछुआरे ने कहा कि मेरे पास छोटा बर्तन है, और मछलिया बड़ी है जो मेरे बर्तन में नहीं आती इसलिए मैने बड़ी मछली फेक दी मैं छोटी मछली की तलाश में हु जो कि मेरे बर्तन में आ जाए जिसे मे पका सकू । पहले मछुआरे ने माथा पकड़ लिया और कहा कि तुम काट कर भी पका सकते थे।
इसलिए कहॉ गया है कि कभी-कभी दुसरे से भी सलाह लेना चाहिए
डर के आगे जीत है।
No comments:
Post a Comment